भगवान् विष्णु के चक्रपाणि होने की कथा पुराणों से उपलब्ध हुई है

अखिल भारत हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी चक्रपाणि महाराज को 2006 से ही कई बार स्वप्न में विष्णुजी(श्री चक्रपाणि) का दर्शन हुआ । हर बार उनका आदेश होता कि मुझे चक्रपाणि बनाने वाले यानि चक्रप्रदान करने वाले भगवान भोले शंकर शिव जी की स्थापना करो । 


 पहले तो स्वामी जी ने ध्यान नहीं दिया पर कई बार वर्षों स्वप्न के दोहरा कर आने से मेरे मन में विचार आने लगे कि परमात्मा का आदेशित यह कार्य अब बिलम्ब नही होना चाहिए और यह विचार प्रबल हो गया  कि हिन्दू महासभा भवन परिसर में एक शिव मन्दिर बनाया जाये ।


विचार के स्थिर होते ही हमने अपने परम मित्र महात्मा श्री अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती महाराज से एक पवित्र काशी की धरती से एक शिव मूर्ति बनवाने का अनुरोध किया । मूर्ति बननी आरम्भ हो गई । तभी मूर्ति स्थापना के लिये परिसर में ही एक स्थान पर फाउण्डेशन बनाना शुरू हुआ । पर यह क्या? 


थोड़ा खोदते ही वहाँ शिवलिंग दिखाई दिया । प्रतीत हुआ कि जमीन में दबा यह शिवलिंग के कृपा हेतु ही भगवान चक्रपाणि(बिष्णु) आदेश दे रहे थे। अतः उसी शिवलिंग की स्थापना दिनांक-31अगस्त 2019 को विधिवत हिन्दू महासभा भवन में कर दी गई और पूजा अर्चना आरम्भ कर दी गई है ।
भगवान् विष्णु के चक्रपाणि होने की कथा पुराणों से उपलब्ध हुई है । जब भगवान् विष्णु एक हजार कमल से शिवजी की पूजा करने बैठे तो एक कमल कम हो गया । आसन से उठने पर पूजा खण्डित होती और न उठने पर अधूरी रहती । सो भगवान् विष्णु ने सोचा कि लोग मुझे कमल नयन कहते हैं । क्यों न मैं अपनी एक आंख ही निकाल कर चढ़ा दूं? विचार कर बाण की नोक से अपनी आंख निकाल कर चढ़ाने के लिए जैसे ही वे तत्पर हुये शिवजी प्रकट हो गये और प्रसन्न होकर उन्होंने भगवान् विष्णु को चक्र प्रदान किया जिससे भगवान् विष्णु चक्रपाणि कहलाये ।
इस प्रसंग को पुष्पदन्ताचार्य ने शिव महिम्न स्तोत्र मे बड़े ही सुन्दर शब्दों में दर्शाया है ।


हरिस्ते साहस्रं कमलबलिमाधाय पदयो-
र्यदेकोने तस्मिन्निजमुदहरन्नेत्रकमलम् ।
गतो भक्त्युद्रेकः परिणतमसौ चक्रवपुषा 
त्रयाणां रक्षायै त्रिपुरहर जागर्ति जगताम्।


शीघ्र ही इस दृश्य को दिखलाने वाली भव्य मूर्ति भी स्थापित की जायेगी ।तथा 1000 कमल का फूल स्वामी चक्रपाणि महाराज द्वारा भगवान शिव को समर्पित किया जाएगा एवं विशाल भण्डारे का आयोजन भी होगा,मन्दिर का नाम "श्रीचक्रपाणि हिन्देश्वर महादेव"रखा गया है,व मन्त्र  श्रीचक्रपाणि हिन्देश्वर महादेवाय नमःहैं ।


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